लेखनी कविता - कहानी - बालस्वरूप राही
कहानी / बालस्वरूप राही
नानी बोली- ‘सुनो कहानी,
एक परी थी बड़ी सयानी।‘
सोनू ठिनका- ‘नानी, नानी,
रोज पुरानी वही कहानी।
परी-परी रटती रहती हो,
बात वही फिर-फिर कहती हो।
आगे भी तो बात बढ़ाओ,
इसमें एक ‘प्रिंस’ ले आओ।
हम लड़के भी खुश हो जाएँ,
पारियों के किस्सों में आएँ’।