Madhu varma

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लेखनी कविता - कहानी - बालस्वरूप राही

कहानी / बालस्वरूप राही


नानी बोली- ‘सुनो कहानी,
एक परी थी बड़ी सयानी।‘

सोनू ठिनका- ‘नानी, नानी,
रोज पुरानी वही कहानी।

परी-परी रटती रहती हो,
बात वही फिर-फिर कहती हो।

आगे भी तो बात बढ़ाओ,
इसमें एक ‘प्रिंस’ ले आओ।

हम लड़के भी खुश हो जाएँ,
पारियों के किस्सों में आएँ’।

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